नमस्ते दोस्तों आज किस इस पोस्ट में आप जानेगे Makhan Lal Chaturvedi ka Jivan Parichay जो की एक महान कवि और एक महान देश भक्त थे भारत के इतिहास में ऐसे बहुत से देशभक्त है
जिन्होंने देश की सेवा के लिए अपना सभ कुछ त्याग दिया उन्मे से ही एक है Makhan Lal Chaturvedi
हिंदी साहित्य के क्षेत्र में माखनलाल चतुर्वेदी को “भारत आत्मा” के नाम से भी जाना जाता है तो चलिए दोस्तों जानते है इस महान कवि और देश भक्त के बारे में –
Makhan Lal Chaturvedi ka Jivan Parichay | माखन लाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय
जीवनी | माखन लाल चतुर्वेदी |
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नाम | माखनलाल चतुर्वेदी |
जन्म | 4 अप्रैल 1889 ईस्वी |
पिता का नाम | नंदलाल चतुर्वेदी |
माता का नाम | सुंदरीबाई |
जन्म स्थान | बाबाई ( मध्य प्रदेश में ) |
पेशा | कवि, लेखक और स्वतंत्रता सेनानी |
मृत्यु | 30-जनवरी-1968 |
भाषा शैली | खड़ी बोली |
अवॉर्ड | पद्मभूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार |
आयु | 79 बर्ष |
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म और शूरवाती जीवन –
भारत में प्रमुख कवि, पत्रकार और लेखक के रूप में अपनी छवि बना चुके माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 ईस्वी में बावाई नामक स्थान पर हुआ था
जो की मध्य प्रदेश के होशगवाद जिले में स्थित है माखन लाल चतुर्वेदी के पिता का नाम नंदलाल चतुर्वेदी था तथा इनकी माता का नाम सुंदरीबाई था इनके जन्म के समय में भारत पर अंग्रेजों का राज था
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माखनलाल चतुर्वेदी की शिक्षा –
बावाई गाँव में ही माखन लाल चतुर्वेदी की प्रारम्भिक शिक्षा हुई थी तथा उसके बाद उन्होंने बांग्ला, गुजराती, संस्कृत तथा अंग्रेजी आदि
भाषाएँ घर पर ही रह कर सीखी थी 16 साल की उम्र के होने पर वह एक स्कूल में अध्यापक बन गए थे और उन्होंने 1906 से 1910 तक एक विध्यालय में अध्यापक के रूप में काम किया
स्वतंत्रता की लड़ाई | Makhan Lal Chaturvedi ka Jivan Parichay
अध्यापक का काम को छोड़ने के बाद उन्होंने आपने जीवन को देश की सेवा तथा देश की स्वतंत्रता के लिए लगाने का निर्णय किया
उन्होंने कई आंदोलन जैसे भारत छोड़ो आन्दोलन और असहयोग आन्दोलन की गतिविदियों में भाग लिया तथा इन आंदोलनों में हिस्सा लेने के करण वो कई बार जेल भी गए
जेल में अग्रेजों ने उनपर कई अत्याचार किए लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मणि और आपने लक्षय से कभी पीछे नहीं हटे
Makhan Lal Chaturvedi ka Jivan Parichay तथा उनका करियर
माखन लाल जी ने 1910 में अध्यापक का काम छोड़ दिया जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय पत्रिकाओं में सम्पादक का काम शुरू किया
उन्होंने “प्रभा” और “कर्मवीर” नाम की राष्ट्रीय पत्रिकाओं में सम्पादन का काम किया
अपनी लेखन शैली से माखनलाल जी ने देश के एक बहुत बड़े वर्ग में देश-प्रेम भाव को जागृत किया. उनके लेखों की तरह उनके भाषण भी देश प्रेम की भावनाओ को जगाते थे
माखनलाल चतुर्वेदी का विवाह
माखनलाल चतुर्वेदी की पत्नी के बारे में कोई भी पकी जानकारी हमारे पास नहीं है लेकिन कुछ लोग कहते हैं
कि माखनलाल चतुर्वेदी का विवाह भी हुआ था तथा उनको एक पुत्री भी थी ऐसा कहते हैं कि माखनलाल का विवाह 14 वर्ष की उम्र में ग्यारसी बाई से हो गया था
माखनलाल के दिन रात देश की सेवा में ही लगे रहने के कारन उनके पिता ने उनका विवाह यह सोचकर कर दिया
की यदि वो माखनलाल का विवाह करवा देंगे तो उनका मन देश की सेवा से हटकर घर गृहस्थी में लग जाएगा
लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ शादी के बाद में वह नौकरी लग गए और फिर धीरे-धीरे उनका देश के प्रति लगाव लगातार बढ़ता ही गया
उन्होंने अपने करियर के साथ-साथ पत्नी को भी प्राथमिकता दी। उनको एक सुंदर बेटी भी हुई। लेकिन कुछ समय के बाद ही उनकी पत्नी और बेटी का निधन हो गया। बेटी और पत्नी की मृत्यु से वो टूट गए थे।
No. | माखन लाल चतुर्वेदी को मिल अवार्ड तथा सम्मान |
1. | 1955 में बने साहित्य अकादमी अवार्ड जीतने वाले पहले व्यक्ति. |
2. | 1959 में डी.लिट्. की उपाधि प्राप्त की सागर यूनिवर्सिटी से |
3. | 1963 में भारत सरकार ने पद्मभूषण पुरस्कार दिया |
माखन लाल चतुर्वेदी की रचनाएँ | Makhan Lal Chaturvedi in Hindi
आपने जीवन काल में माखन लाल जी ने कई रचनायीं की जिनमे से मुख्य रचनाए निम्नलिखित है
- बीजुरी
- काजल
- साहित्य के देवता
- मरण ज्वार
- समय के पाँव
- गरीब इरादे अमीर इरादे
- हिम तरंगिणी
- युग चरण
इसके इलवा इन्होंने और भी कई रचनाए की जैसे – समर्पण, हिम कीर्तनी, साहित्य देवता दीप से दीप जले, कैसा चाँद बना देती हैं और पुष्प की अभिलाषा, जिनमें से वेणु लो गूंजे धरा’, हिम कीर्तिनी, आदि
इनकी कविताएं है- अमर राष्ट्र, उस प्रभात तू बात ना माने, किरणों की शाला बंद हो गई छुप-छुप, अंजलि के फूल गिरे जाते हैं,
आज नयन के बंगले में, इस तरह ढक्कन लगाया रात ने, कुञ्ज-कुटीरे यमुना तीरे, गाली में गरिमा घोल-घोल, भाई-छेड़ो नहीं मुझे, मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक, आदि
माखन लाल चतुर्वेदी की मृत्यु –
माखन लाल जी तब 79 बर्ष के थे जब 30 जनवरी 1968 को उनकी मृत्यु हो गई और भारत ने अपना एक अनमोल रतन खो दिया
उनके साहित्य की विधा में डिय गए योगदान को देखते हुए तथा उन्हे सम्मान देने के लिए कई यूनिवर्सिटी ने विविध Awards के नाम उनके नाम पर रखे
भारत के पोस्ट और टेलीग्राफ डिपार्टमेंट ने भी माखन लाल चतुर्वेदी को सम्मान देने के लिए पोस्टेज स्टाम्प की शुरुआत की जो की माखन लाल जी के 88वें जन्मदिन 4 अप्रैल 1977 को ज़ारी हुआ.
FAQ about Makhan Lal Chaturvedi in Hindi
1.माखनलाल चतुर्वेदी जी को कौन कौन से पुरस्कार मिले?
उत्तर – माखन लाल चतुर्वेदी को पद्मश्री तथा साहित्य अकादमी जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था
उत्तर – माखन लाल चतुर्वेदी का जन्म एक छोटे से गाँव बावाई में हुआ था जो की मध्य परदेश में है
उत्तर – उनकी प्रमुख रचनाए – युग चारण, समर्पण, मरण ज्वार, माता, वेणु लो गूंजे धरा, हिमकिरीटिनी, हिम तरंगिणी,बीजुरी काजल आँज रही आदि
उत्तर – माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचनाओ में से देश प्रेम और देश भक्ति जैसी भवनए मिलती हैं तथा उनमें स्वतंत्रता की चेतना के साथ देश के लिए त्याग और बलिदान की भावना भी मिलती है। इसीलिए उन्हें एक भारत की आत्मा कहा जाता है।
उत्तर – मध्य प्रदेश के जबलपुर में माखन लाल चतुर्वेदी के सम्मान में समारोह मनाया जाता है
उत्तर – जब माखन लाल जी को अंग्रेजी ने गिरफ्तार कर के जैक में डाल दिया था तो उन्होंने माखन जी को हथकड़ी पहनाई थी जो माखन जी को गहनों के समान लगी
उत्तर – 1955 में
Conclusion –
आशा करते है दोस्तों की आपको हमारी ये पोस्ट Makhan Lal Chaturvedi ka Jivan Parichay पसंद आई हो और आपको माखन लाल चतुर्वेदी के बारे में सारी जानकारी मिल गई हो
यदि आप फिर भी हमसे कुछ पूछना चाहते है तो कमेन्ट में पूछ सकते है और हमे कमेन्ट करके जरूर बताइए की आपको ये पोस्ट कैसे लगी
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