नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट Meera bai Biography in Hindi में हम आपको मीरा बाई के बारे में जानकारी देंगे जो की एक महान कवित्री और कृष्ण भक्त थी
मीरा बाई ने अपने जीवन काल में कई रचनाएँ की उन्होंने अपना अधिकतर जीवन कृष्ण भक्ति में लीन रहकर बतीत किया इसलिए उनका नाम महान भक्तों के नामों में गिना जाता है तो चलिए जानते है मीरा बाई का इतिहास
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Meera bai Biography in Hindi | मीरा बाई का इतिहास
मीरा बाई कौन थी | who is Meera bai?
मीरा बाई एक महान कृष्ण भक्त थी जिनका जन्म 1498 में मेड़ता के कुड़की गाँव में हुआ था इनके पिता का नाम रतनसिंह राठौड़ था तथा माता का नाम वीर कुमारी था इनका परिवार एक राजघराने से संबधित था तथा इनके पिता एक जागीरदार थे
दादा-दादी ने ही मीरा का पालन पोषण किया था मीरा बाई की दादी भगवान श्री कृष्ण की परम भक्त थी जिसको देखकर मीरा भी उनकी भक्ति से बहुत प्रभावित हुए और श्री कृष्ण की भक्त बन गई मीरा का बकपन भी मेड़ता में ही बीता
मीराबाई का जन्म | 1498 कुड़की गाँव में |
पिता का नाम | रत्न सिंह राठौड़ |
माता का नाम | वीर कुमारी |
मृत्यु | 1547 |
धर्म | हिन्दू |
पति | राणा भोजराज सिंह |
जीवन काल | 48 से 49 बर्ष |
मीरा बाई के गुरु कौन थे –
संत रविदास मीरा बाई के गुरु थे मीरा बाई उनकी महान शिष्या तथा संत कवयित्री थीं
अधिकतर विद्वानों ने गुरु रविदास जी को ही मीरा बाई का गुरु माना है काशीनाथ उपाध्याय भी ये लिखते है
की इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि गुरु रविदास जी मीराबाई के गुरु थे क्योंकि अपने पदों में बार-बार मीराबाई ने खुद गुरु रविदास जी को अपना गुरु बताया है।”
मीरा बाई का विवाह –
मेवाड़ के महाराणा सांगा के बड़े बेटे भोजराज सिंह से 1516 ईस्वी में मीरा बाई का विवाह हुआ जो की उस समय मेवाड़ के युवराज थे 1518 ईस्वी को भोजराज को दिल्ली सल्तनत के खिलाफ युद्ध में जाना पड़ा
1521 में मुगल शासक बाबर और महाराणा सांगा के बीच युद्ध हुआ जिस युद्ध को खानवा युद्ध के नाम से भी जाना जाता है
इस युद्ध में महाराणा सांगा एवं उनके पुत्र भोजराज की मौत हो गई अपने पति के शहीद होने के बाद मीरा बाई अकेली पड़ गई और पूरी तरह से कृष्ण भक्ति में डूब गई
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मीरा बाई को मरने की कोशिश – Meera bai Biography in Hindi
साधु-संतों के साथ उठना बैठना तथा भजन गाना मीरा की आदत बन चुकी थी जो की उनके देवर विक्रमसिंह को पसंद नहीं थी
उन्होंने मीरा बाई को समझाया और कहा की हम राजपूत है हमे ये सब काम शोभा नहीं देते लेकिन मीरा बाई को उनकी बातों का कोई असर नहीं हुआ
वो कृष्ण भक्ति में लीन रहने लगी विक्रम सिंह ने मीरा को रोकबे के कई कोशिशे की तथा उन्हे जान से मारने की भी कोशिश की उन्होंने उन्हे जहर देने तथा सांप से कटवाने के लिए एक गिलास में जहर तथा एक टोकरी में सांप भेजा
जो की इतिहासकारों और मान्यताओ के मुताबिक उनका भेज गया सांप मला बन गया और उस जहर का उनपर कोई असर नहीं हुआ
भगवान कृष्ण की कृपा से वो बच गई सारी घटनाओ के देखते हुए मीरा बाई ने मेवाड़ को छोड़ दिया ऐसा भी माना जाता है
कि मीरा को ‘राव बीरमदेव’ ने 1553 के आसपास मेड़ता बुला लिया और मीरा के चित्तौड़ त्यागने के एक साल बाद ही सन् 1534 में गुजरात के बहादुरशाह ने चित्तौड़ पर कब्ज़ा कर लिया
चितौड़ के शासक विक्रमादित्य इस युद्ध में मारे गए तथा सैकड़ों महिलाओं ने जौहर कर लिया
इसके बाद 1538 ईस्वी में जोधपुर के शासक राव मालदेव ने मेड़ता पर अधिकार कर लिया जिसके बाद बीरमदेव ने भागकर अजमेर में शरण ली और मीरा बाई ब्रज की तीर्थ यात्रा पर निकल पड़ीं
1539 में मीरा बाई वृंदावन में रूप गोस्वामी से मिलीं। वृंदावन में कुछ साल निवास करने के बाद मीराबाई 1546 के आस-पास द्वारका चली गईं
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जीव गोस्वामी से भेंट – Meera bai Biography in Hindi
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार मीराबाई वृंदावन में भक्त शिरोमणी जीव गोस्वामी के दर्शन के लिये गईं गोस्वामी जी सच्चे साधु होने के कारण स्त्रियों को देखना भी अनुचित समझते थे
उन्होंने मीराबाई से मिलने से मना कर दिया और अन्दर से ही संदेश भेजा कि- “हम स्त्रियों से नहीं मिलते”।
इस पर मीराबाई ने बड़ा ही मार्मिक उत्तर दिया उन्होंने कहा कि “वृंदावन में श्रीकृष्ण ही एक पुरुष हैं, यहाँ आकर जाना कि उनका एक और प्रतिद्वन्द्वी पैदा हो गया है”।
मीराबाई का ऐसा मधुर और मार्मिक उत्तर सुन कर जीव गोस्वामी नंगे पैर बाहर निकल आए और बडे प्रेम से उनसे मिले। इस कथा का उल्लेख सर्वप्रथम प्रियादास के कविताओ में मिलता है-
‘वृन्दावन आई जीव गुसाई जू सो मिल झिली,
‘तिया मुख देखबे का पन लै छुटायौ।
मीरा बाई की मृत्यु कैसे हुई – How Meera bai died?
इतिहासकारों की माने तो मेवाड़ को छोड़ने के बाद मीरा बाई द्वारका में चली गई और वही रहने तथा उन्होंने अपना अंतिम समय भी द्वारका में ही बिताया
1547 ईस्वी को मीरा बाई गुजरात के डाकोर स्थित रणछोड़ मंदिर में चली गई और वहीं विलीन हो गई
ऐसा भी माना जाता है कि रणछोड़दास के मंदिर में मीराबाई की मृत्यु हो गई क्योंकि आसपास के लोगों के अनुसार, मीराबाई को मंदिर के अंदर जाते हुए देखा था परंतु, बाहर वापस आते हुए किसी ने नहीं देखा था
मीराबाई की रचनाएँ | Meera bai Biography in Hindi
मीराबाई की रचनाएँ निम्नलिखित है-
- नरसी जी का मायरा
- मीरा पद्मावली
- राग गोविंद
- गीत गोविंद
- राग सोरठा
- गोविंद टीका
तो ये थी मीरा बाई की कुछ रचनाएँ मीरा बाई मध्यकालीन समय की एक प्रसिद्ध हिन्दू आध्यात्मिक कवियित्री और कृष्ण भक्त थीं
भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित उनके भजन आज भी उत्तर भारत में श्रद्धा के साथ गाये जाते हैं और बहुत लोकप्रिय हैं
मीराबाई की भाषा शैली
काव्य भाषा शुद्ध साहित्यिक ब्रजभाषा को अपनाकर मीराबाई ने अपने गीतों की रचना की है इनके द्वारा प्रयुक्त उस भाषा पर गुजराती, पश्चिमी हिंदी,राजस्थानी, एवं पंजाबी भाषा का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है
उनकी काव्य भाषा अत्यंत सरस,मधुर और प्रभावपूर्ण है। इनके सभी पद गेय पद हैं मीराबाई ने गीतिकाव्य की मुक्तक शैली तथा भावपूर्ण शैली को अपनाया है। उनकी शैली में हृदय की तन्मयता, लयात्मकता एवं संगीतात्मकता साफ दिखाई देती है
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FAQs about Meera bai Biography in Hindi
उत्तर – 516 ईस्वी में मेवाड़ के युवराज भोजराज सिंह सिसोदिया के साथ मीराबाई का विवाह हुआ था
उत्तर -1547 ई. को द्वारका में मीराबाई की मृत्यु हुई थी
उत्तर – मीराबाई की माता का नाम वीर कुमारी था
उत्तर – मीराबाई के पिता एक जागीरदार थे उनका नाम रत्नसिंह राठौड़ था
उत्तर – महाराणा सांगा मीराबाई के ससुर थे महाराणा सांगा के पुत्र भोजराज सिंह से मीराबाई का विवाह हुआ था
उत्तर – मीरा बाई के पति 1521 में खानवा के युद्ध में शहीद हो गए थे।
उत्तर – पेमल मीरबाई का बचपन का नाम था
उत्तर – मीरबाई के दादा जी का नाम मेड़ता के राव दूदा था
उत्तर -1516 ईस्वी में मेवाड़ के राजकुमार भोजराज के साथ मीरबाई का विवाह हुआ था 1521 में भोजराज की मृत्यु के बाद मीराबाई ने भगवान श्री कृष्ण को अपना पति मान लिया था
उत्तर – मीरा बाई का विवाह 18 वर्ष की आयु में हो गया था
उत्तर 1498 ई. को राजस्थान में मेड़ता के पास स्थित कुड़की (चौकड़ी) ग्राम में मीरा बाई का जन्म हुआ था।
Conclusion –
आशा करते है दोस्तों की आपको हमारी ये पोस्ट Meera bai Biography in Hindi पसंद आई होगी और इसमे आपको मीरा बाई से जुड़ी सारी जानकारी मिल गई होगी
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