Ramdhari Singh Dinkar Ka Jivan Parichay, भाषा शैली तथा रचनाएँ

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय | Biography of Ramdhari Singh Dinkar in Hindi 

हमारा देश भारत एक महान देश है जहां बहुत से महान कवियों ने जन्म लिए है आज की इसे पोस्ट Ramdhari Singh Dinkar Ka Jivan Parichay में हम ऐसे ही एक महान कवि के बारे में जनेगे दोस्तों वैसे सोचने वाली बात है  

कि इस देश में जितने भी लेखक हुए वह ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य से ही होते है । पता नहींक्या है ऐसा इन दोनों राज्यों में तथा उन सभी कवीओ ने हमे बहुत सी महान रचनाएँ प्रधान की हर कोई लेखक अलग अलग रस में कविताएं लिखता था

वैसे तो हिंदी साहित्य में रस भी दस प्रकार के होते हैं जैसे कि वीभत्स रस, हास्य रस, करुण रस, रौद्र रस, वीर रस, भयानक रस, शृंगार रस, अद्भुत रस, शांत रस और भक्ति रस

लेकिन आज हम जिस कवि के बारे में  बात करने जा रहे है वो अपनी कविताओं में वीर रस का प्रयोग करते थे

उनका नाम रामधारी सिंह दिनकर था जो की भारत के श्रेष्ठ कवि में से एक गिने जाते है तथा भारत के इतिहास में रामधारी सिंह दिनकर एक ऐसे कवि रहे है

जिन्होंने लोगों के दिल में राष्ट्र प्रेम की ज्वाला जगा दी थी रामधारी सिंह दिनकर  वीर रस के कवि थे आजके इस लेख में हम रामधारी सिंह दिनकर का जीवन  परिचय हिंदी में पढ़ेंगे

नाम रामधारी सिंह दिनकर
पिता का नाम बाबू रवि सिंह
माता का नाम मनरूप देवी
जन्म 23 सितंबर 1908
जन्म स्थान सिमरिया, मुंगेर, बिहार
भाई-बहन केदारनाथ सिंह और रामसेवक सिंह
देश का नाम भारत

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय | Ramdhari Singh Dinkar Ka Jivan Parichay

भारत आज भी रामधारी सिंह दिनकर को एक महान कवि के रूप में याद करता है हम जब भी कभी महान कवियों के बारे में बात करते हैं

तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि हम रामधारी सिंह दिनकर को भूल जाए वह ऐसे कवि थे

जो आजादी के समय के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक गिने जाते हैं तथा उनकी कविताएं आजादी को पाने के लिए जोश को दर्शाती थी

अपनी क्रांतिकारी कविताओं के लिए रामधारी दिनकर प्रसिद्ध थे देशभक्ति की भावना उन्मे कूट-कूट के भरी हुई थी

जिसके चलते वो देश के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते थे एक अच्छे कवि होने के ही साथ साथ वह एक निबंधकार, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी भी थे

रामधारी सिंह दिनकर का बचपन –

भारत के प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को बेगूसराय जिले का सिमरिया गांव में हुआ था

रामधारी सिंह दिनकर के पिता का नाम रवि सिंह था जो की एक साधारण किसान थे तथा उनकी माता का नाम मनरूप देवी था जब वो दो साल के हुए तो रामधारी सिंह दिनकर के पिता का निधन हो गया

उनके पूरे परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा तथा उनकी माता भी पूरी तरह टूट चुकी थी उनका हंसता खेलता परिवार बिखर चुका था

लेकिन फिर उनकी माता ने सोचा कि अगर वह ही इस कदर बिखर गई तो फिर उसके बच्चों को कौन संभालेगा कीसी तरह खुद कु संभालने के बाद उनकी माता भी खेतीबाड़ी का काम संभालने लगी

अब अपनी माता के साथ ही रामधारी सिंह दिनकर अपना समय बीतने लगे खेतों और हरियाली के बीच ही इनका समय बीतता था। जिसके कारण इन्होंने प्रकृति पर खूब कविताएं लिखी

स्कूल का नाम मोकामाघाट हाई स्कूल
कॉलेज का नाम पटना विश्वविद्यालय
प्रसिद्धि का कारण वह भारत के महान कवि एवं लेखक थे
पुरस्कार साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण तथा भारतीय ज्ञानपीठ
मृत्यु 24 अप्रैल 1974
मृत्यु स्थान बेगूसराय, बिहार, भारत
मृत्यु के समय आयु 65 बर्ष

रामधारी सिंह दिनकर की शिक्षा – 

गाँव के एक प्राथमिक विद्यालय से रामधारी सिंह दिनकर का विद्यार्थी जीवन शुरू हुआ तथा बड़े होने पर उन्होंने मोकामाघाट हाई स्कूल में दाखिला लिया। मैथिली, बंगाली, हिंदी, संस्कृत, उर्दू और अंग्रेजी साहित्य पर उनकी पकड़ मजबूत बन गई थी

इन सभी भाषाओ के अलावा वो इतिहास, राजनीति और दर्शनशास्त्र जैसे विषयों को वह मन लगाकर पढ़ते थे। 1928 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली तथा साल 1932 में इनको इतिहास में बी. ए. ऑनर्स डिग्री प्राप्त हुई।

रामधारी सिंह दिनकर की शादी –

Ram Dhari Singh Dinkar की शादी को लेकर कहते हैं कि वह हाई स्कूल में पढ़ने के दौरान ही शादी के बंधन में बंध गए तथा उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति भी हुई ऐसे में पढ़ाई जारी रखना बहुत मुश्किल हो गया लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार पढ़ते रहे

रामधारी सिंह की उपलब्धियां –

भारत के महान कवि  रामधारी सिंग दिनकर ने अपने जीवन काल में बहुत सी उपलब्धियां हासिल की जिनका वर्णन हमने नीचे किए हुआ है –

  • शिक्षा प्राप्त करके सबसे पहले रामधारी सिंह जी अध्यापक के रूप में स्कूल में नियुक्त हुए
  • 1963 से 1965 तक रामधारी सिंह जी ने भागलपुर विश्वविद्यालय में उपकुलपति के रूप में भी काम किया
  • रामधारी सिंह जी मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह कालेज में हिन्दी के विभागाध्यक्ष पद पर नियुक्त भी हुए थे
  • राज्यसभा का सदस्य बनने का भी सौभाग्य भी उन्हे प्राप्त हुआ तथा भारत सरकार ने उन्हें अपना हिंदी सलाहकार भी बनाया था

रामधारी सिंह दिनकर की भाषा शैली –

अगर बात की जाए रामधारी सिंह दिनकर की भाषा शैली की तो बता दे की उनके लिखने की कला कमाल की थी तथा वह अपनी लगभग सभी कविताओं में साहित्यिक खड़ी बोली का प्रयोग किया करते थे इसके अलावा वो अपनी कविताओं में संस्कृत के तत्सम शब्दों का भी इस्तेमाल किया करते थे।

जैसे की हमने पहले बताया की पिता के गुजर जाने के बाद उनका बचपन माँ के साथ प्रकृति के आस-पास ही गुज़रा था जिस कारण उनकी कविताओं में प्राकृतिक सौंदर्य भी झलकता है इसके साथ में ही उनकी कविताओं में देश प्रेम को भी बहुत अच्छे से दर्शाया गया है

रामधारी सिंह की काव्य कृतियां

  • विजय संदेश (1928) में
  • प्रणभंग (1929) में
  • रेणुका (1935) में
  • हुंकार (1938) में
  • रसवन्ती (1939) में
  • द्वंद्वगीत (1940) में
  • कुरूक्षेत्र (1946) में
  • धूप-छाँह (1947) में
  • सामधेनी (1947)में
  • बापू (1947) में
  • इतिहास के आँसू (1951) में
  • धूप और धुआँ (1951) में
  • मिर्च का मजा (1951) में
  • रश्मिरथी (1952) में
  • दिल्ली (1954) में
  • नीम के पत्ते (1954) में
  • नील कुसुम (1955) में
  • सूरज का ब्याह (1955) में
  • चक्रवाल (1956) में
  • कवि-श्री (1957) में
  • सीपी और शंख (1957) में
  • नये सुभाषित (1957) में
  • लोकप्रिय कवि दिनकर (1960) में
  • उर्वशी (1961) में
  • परशुराम की प्रतीक्षा (1963) में
  • आत्मा की आँखें (1964) में
  • कोयला और कवित्व (1964) में
  • मृत्ति-तिलक (1964) में
  • दिनकर की सूक्तियाँ (1964) में
  • हारे को हरिनाम (1970) में
  • संचियता (1973) में
  • दिनकर के गीत (1973) में
  • रश्मिलोक (1974) में
  • उर्वशी तथा अन्य शृंगारिक कविताएँ (1974) में

रामधारी सिंह दिनकर की गद्य कृतियां –

  • मिट्टी की ओर 1946 में
  • चित्तौड़ का साका 1948 में
  • अर्धनारीश्वर 1952 में
  • रेती के फूल 1954 में
  • हमारी सांस्कृतिक एकता 1955 में
  • भारत की सांस्कृतिक कहानी 1955 में
  • संस्कृति के चार अध्याय 1956 में
  • उजली आग 1956 में
  • देश-विदेश 1957 में
  • राष्ट्र-भाषा और राष्ट्रीय एकता 1955 में
  • काव्य की भूमिका 1958 में
  • पन्त-प्रसाद और मैथिलीशरण 1958 में
  • वेणुवन 1958 में
  • धर्म, नैतिकता और विज्ञान 1969 में
  • वट-पीपल 1961 में
  • लोकदेव नेहरू 1965 में
  • शुद्ध कविता की खोज 1966 में
  • साहित्य-मुखी 1968 में
  • राष्ट्रभाषा आंदोलन और गांधीजी 1968 में
  • हे राम! 1968 में
  • संस्मरण और श्रद्धांजलियाँ 1970 में
  • भारतीय एकता 1971 में
  • मेरी यात्राएँ 1971 में
  • दिनकर की डायरी 1973 में
  • चेतना की शिला 1973 में
  • विवाह की मुसीबतें 1973 में
  • आधुनिक बोध 1973 में

Ramdhari Singh Dinkar Ka Jivan Parichay तथा रामधारी सिंह दिनकर को प्राप्त पुरस्कार –

हिंदी साहित्य में रामधारी सिंह दिनकर ने उल्लेखनीय योगदान दिया था। जिसके चलते अपनी रचनाओं के लिए उन्हे पुरस्कार भी मिले है जिनका वर्णन हमने नीचे किया है –

  • पद्म भूषण (1959) 
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार (1959)
  • भारतीय ज्ञानपीठ (1972)
  • साहित्य चूड़ामण (1968)

रामधारी सिंह दिनकर का निधन –

अपने समय के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक रह चुके रामधारी सिंह दिनकर ने हिंदी साहित्य को एक नया मुकाम दिया

उनकी कविताओं में प्रकृति का सौंदर्य के साथ साथ देश प्रेम भी झलकता था वह भारत के एक महान लेखक और कवि थे।

अपने अंतिम दिन उन्होंने बेगूसराय, बिहार में गुजारे तथा 24 अप्रैल 1974 को 65 साल की उम्र में उनका निधन हो गया

रामधारी सिंह दिनकर के अनमोल विचार – Ramdhari Singh Dinkar Ka Jivan Parichay

1) साहसी मनुष्य की पहली पहचान यही होती है कि वो इस बात कि प्रवाह नहीं करता है तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे है 
2) संस्कृति रोटी के बाद मनुष्य की सबसे बड़ी कीमती चीज होती है
3) आप कभी भी दूसरों की निंदा करने से अपनी उन्नति को हासिल नही कर सकते आप उन्नति को तभी हासिल कर सकते है जब आप सहनशील बनोगे और अपने अवगुणों को दूर करोगे 
4) 
ऊँच-नीच का भेद न माने, 
वही श्रेष्ठ ज्ञानी है, 
दया-धर्म जिसमें हो, 
सबसे वही पूज्य प्राणी है।
क्षत्रिय वही, भरी हो 
जिसमें निर्भयता की आग 
सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, 
हो जिसमें तप-त्याग।
5) 
जैसे सभी नदियां समुद्र में मिलती हैं 
उसी प्रकार सभी गुण अंतत! 
स्वार्थ में विलीन हो जाता है
6) सच है, विपत्ति जब आती है 
कायर को ही दहलाती है, 
सूरमा नहीं विचलित होते; 
क्षण एक नहीं धीरज खोते, 
विघ्नों को गले लगाते हैं ; 
काँटों में राह बनाते हैं…
7) पुरुष चूमते तब 
जब वे सुख में होते हैं, 
 नारी चूमती उन्हें 
जब वे दुख में होते हैं।

प्रेम पर रामधारी सिंह दिनकर जी के प्रसिद्ध पद्य

8)
प्रेम की आकुलता का भेद 
छिपा रहता भीतर मन में 
काम तब भी अपना मधु वेद 
सदा अंकित करता तन में
9)
प्रेम नारी के हृदय में 
जन्म जब लेता, 
एक कोने में न रुक 
सारे हृदय को घेर लेता है। 
पुरुष में जितनी प्रबल
होती विजय की लालसा, 
नारियों में प्रीति उससे भी 
अधिक उद्दाम होती है। 
प्रेम नारी के हृदय की ज्योति है, 
प्रेम उसकी जिन्दगी की साँस है 
प्रेम में निष्फल त्रिया
 जीना नहीं फिर चाहती।
10)
फूलों के दिन में पौधों को 
प्यार सभी जन करते हैं, 
मैं तो तब जानूँगी जब 
पतझर में भी तुम प्यार करो। 
जब ये केश श्वेत हो 
जायें और गाल मुरझाये हों, 
बड़ी बात हो रसमय चुम्बन से 
तब भी सत्कार करो।
11)
प्रातः काल कमल भेजा था 
शुचि, हिमधौत, समुज्जवल 
और साँझ को भेज रहा हूँ 
लाल-लाल ये पाटल दिन भर 
प्रेम जलज सा रहता 
शीतल, शुभ्र, असंग,पर, 
धरने लगता होते ही साँझ गुलाबी रंग।
12)
सुन रहे हो प्रिय? 
तुम्हें मैं प्यार करती हूँ
और जब नारी किसी नर से कहे, 
प्रिय! तुम्हें मैं प्यार करती हूँ, 
तो उचित है, 
नर इसे सुन ले ठहर कर, 
प्रेम करने को भले ही वह न ठहरे

FAQ about Ramdhari Singh Dinkar Ka Jivan Parichay

1.रामधारी सिंह दिनकर की वीर रस की कविताएं         

उत्तर – रामधारी सिंह जी की वीर रस की कुछ वीर रस की कविताएँ है –
1. सिंहासन खाली करो कि जनता आती है
2. कलम, आज उनकी जय बोल
3. कृष्ण की चेतावनी
4. रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद
5. कलम या कि तलवार

2.रामधारी सिंह दिनकर के निबंध 

उत्तर – रश्मिरथी, रेणुका, उर्वशी, संस्कृति के चार अध्याय, हुंकार, सामधेनी, नीम के पत्ते  यदि रामधारी सिंह दिनकर के निबंध है

3.रामधारी सिंह दिनकर की पहली रचना कौन सी है

उत्तर – रेणुका रामधारी सिंह दिनकर की पहली रचना ‘रेणुका’ है, जो 30 के दशक में प्रकाशित हुई थी

4.रामधारी सिंह दिनकर के पिता का नाम

उत्तर – बाबू रवि सिंह रामधारी सिंह दिनकर के पिता थे

5.रामधारी सिंह दिनकर का जन्म कब हुआ था 

उत्तर – 23 September 1908 में

6.रामधारी सिंह दिनकर की प्रमुख रचनाएं कौन कौन सी है?

उत्तर – उर्वशी, रश्मिरथी, रेणुका, संस्कृति के चार अध्याय, हुंकार, सामधेनी, नीम के पत्ते हैं. 

7.रामधारी सिंह दिनकर क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर – रामधारी जी अपनी कविता तथा रचनाओ के लिए प्रसिद्ध है जिनके लिए उन्हे पद्मभूषण की उपाधि भी मिली है

8.ज्ञानपीठ पुरस्कार रामधारी सिंह जी को कब मिला था?

उत्तर – ज्ञानपीठ पुरस्कार 1972 में रामधारी सिंह जी को मिला

9.रामधारी सिंह दिनकर के बाल निबंध कौन-कौन से थे?

उत्तर – मिर्च का मजा, सूरज का ब्याह, चित्तौड़ का सांका यदि रामधारी सिंह दिनकर के बाल निबंध थे।

10.रामधारी सिंह दिनकर की सबसे प्रसिद्ध रचना ?

उत्तर –  रामधारी सिंह दिनकर की सबसे प्रसिद्ध रचना संस्कृति के चार अध्याय रही है।

Conclusion –

उम्मीद है की दोस्तों आपको हमारी ये पोस्ट पसंद आई होगी और आपको इस लेख में रामधारी दिनकर के जीवन के बारे में सारी जानकारी मिल गई होगी और आपके मन में जो भी सवाल तो उन सभ का जवाब मिल गया होगा यदि फिर भी आप हमसे कुछ पूछना चाहते है तो कमेन्ट में पुच्छ सकते है 

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