आज की इस पोस्ट Sumitranandan pant ka Jivan Parichay में हम आपको समित्रानंदन पंत के जीवन के बारे में सारी जानकारी देंगे इसके अलावा इस लेख में आपको वो सभी प्रश्न मिल जायेगे
जो की परीक्षा में पंत जी के बारे में पूछे जाते है जिससे आपको परीक्षा में अच्छे अंक मिलने से कोई नहीं रोक पाएगा तो चलिए जानते है सुमित्रानंदन पंत के जवान के बारे में
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Sumitranandan pant ka Jivan Parichay –
मूल नाम | गोसैन दत्त |
प्रसिद्ध नाम | सुमित्रानंदन पंत |
जन्म | 20 May 1900, कौसानी, उत्तराखंड |
मृत्यु | 28 December 1977, प्रयागराज, उत्तरप्रदेश |
जीवनकाल | 77 बर्ष |
सुमित्रानंदन पंत का शूरवाती जीवन | Sumitranandan pant ka Jivan Parichay
जन्म और माता पिता –
20 मई 1900 ईस्वी में अल्मोड़ा के निकट कोसनी ग्राम में सुमित्रानंदन पंत का जन्म हुआ था पंत जी के पिता का नाम पंडित गंगा दत्त था
जन्म के 6 घंटे बाद इनकी माता की मृत्यु हो गई तथा इनके पिता और दादी ने ही इनका पालन पोषण किया
सुमित्रानंदन पंत जी की शिक्षा –
पंत जी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा कोसनी गाँव में रहकर ग्रहण की तथा उच्च शिक्षा का पहला चरण इन्होंने अल्मोड़ा से किया
जिसके बाद इन्होंने बनारस के क्वीन्स कॉलेज में दाखला लिया मैट्रिक करने के बाद ये इलाहबाद आ गए जहां इन्होंने 12वी तक की पढ़ाई की
उसके बाद इन्होंने महात्मा गांधी के सत्याग्रह से प्रभावित होकर 1919 में अपनी पढ़ाई छोड़ दी तथा सविधानता आंदोलन में शामिल हो गए
माता | सरस्वती देवी |
पिता | गंगा दत्त पंत |
प्रसिद्धि का कारण | कवि एवं लेखक |
देश | भारत |
कविताएँ | ताज, मानव, बापू के प्रति, अँधियाली घाटी में, मिट्टी का गहरा अंधकार, ग्राम श्री आदि |
पुरस्कार | पद्म भूषण (1961).ज्ञानपीठ अवार्ड (1969),साहित्य अकैडमी अवॉर्ड (1960) |
सुमित्रानंदन पंत का करियर –
इन्होंने खुद ही अपना नाम बदलकर ‘गुसाईं दत्त’ से सुमित्रानंदन पंत रख लिया।
काशी में पंत जी का परिचय रविंद्र नाथ टैगोर तथा सरोजिनी नायडू के काव्य के साथ-साथ अंग्रेजी की रोमांटिक कविता से हुआ
यहीं पर इन्होंने कविता प्रतियोगिता में भाग लेकर प्रशंसा प्राप्त की इसके बाद भी इन्होंने की कार्य किए जिनका वर्णन निम्नलिखित है
- सरस्वती पत्रिका’ में प्रकाशित होने के बाद इनकी रचनाओं ने काव्य-मर्मज्ञों के दिलों में अपनी जगह बना ली थी
- ऑल इंडिया रेडियो के परामर्शदाता पद पर बर्ष 1950 में नियुक्त हुए तथा 1957 तक वहाँ प्रत्यक्ष रुप से रेडियो से संबद्ध रहे
- वर्ष 1916-1977 तक साहित्य सेवा की।
- बर्ष 1926 में उन्होंने पल्लव प्रकाशित की उन्होंने माना कि हिंदी वक्ता सोचते तो अपनी भाषा में है परंतु प्रकट किसी अन्य भाषा में करते हैं
- 1931 में सुमित्रानंदन कालाकांकर जो की उत्तर प्रदेश राज्य के एक गांव में है वहाँ चले गए और 9 साल तक प्रकृति के पास अकेले रहे। उनके दिमाग पर महात्मा गांधी और कार्ल मार्क्स के विचार प्रभावी हो रहे थे
- 1941 में सुमित्रानंदन अल्मोड़ा गए जहां पर उन्होंने औरोबिंदो लाइफ डिवाइन पुस्तक पढ़ी जिससे वे काफी ज्यादा प्रभावित हुए
- 3 साल बाद वह पॉन्डिचेरी औरोबिंदो के आश्रम से जुड़ने के लिए चले गए तथा 1946 में वे वापस इलाहाबाद आ गए
सुमित्रानंदन पंत का साहित्यिक परिचय –
सुमित्रानंदन पंत 20 वी शताब्दी के छायावादी कवियों में से एक महान कवि थे। उनकी कविताएं प्रकृति, प्रेम-प्रसंग, मनुष्यों आदि से जुड़ी हुई हैं
उन्होंने सिर्फ एक ही कविता उनकी मातृभाषा कुमाऊँनी में लिखी है बाकी सारी कविता उन्होंने हिन्दी भाषा में लिखी है
पंत ने छायावादी कविताओ के अलावा भी कई सामाजिकता, मानवतावादी, प्रगति पर आधारित कविताओं की भी रचना की
भाषा शैली –
पंत जी बांग्ला और अंग्रेजी भाषा से बहुत प्रभावित हुए जिसके चलते इन्होंने गीतात्मक शैली को अपनाया
इनके शैली बहुत ही मधुर तथा सरस थी कोमलता, सरलता, मधुरता, चित्रात्मकता, और संगीतात्मकता इनकी शैली की प्रमुख विशेषताएं हैं
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सुमित्रानंदन पंत की प्रमुख कृतियां
कविता संग्रह | खंडकाव्य
- युगांत
- तारा पथ
- मानसी
- युगवाणी
- उच्छवास
- पल्लव
- वीणा
- ग्रंथि
- गुंजन
- ग्राम्या
- उत्तरा
- रजतशिखर
- शिल्पी
- सौंदण
- अंतिमा
- युगांतर
- स्वर्णकिरण
- स्वर्णधूलि
- कला और बूढ़ा चांद
- लोकायतन
- सत्यकाम
- मुक्ति यज्ञ
- पतझड़
- अवगुंठित
- मेघनाथ वध
- ज्योत्सना
चुनी गईं रचनाओं के संग्रह | Sumitranandan pant ka Jivan Parichay
- चिदंबरा
- पल्लविनी
- युगपथ
- स्वच्छंद
कृतियां और रचनाएं –
Sumitranandan pant जी की प्रमुख कृतियां निम्नलिखित हैं
- काव्य- वीणा, किरण, युगांत, युगवाणी, ग्रंथि, पल्लव, गुंजन, स्वर्ण लोकायतन, चिदंबरा।
- नाटक- ज्योत्सना रजतरश्मि, शिल्पी
- उपन्यास- हार
- पंत जी की अन्य रचनाएं हैं- पल्लविनी, अतिमा, कला और बूढ़ा चांद, शिल्पी, युगपथ, ऋता, स्वर्ण किरण, उत्तरा, स्वर्णधूलि आदि।
सुमित्रानंदन पंत की कविताएँ (Poems by Sumitranandan Pant)
- सन्ध्या
- तितली
- ताज
- मानव
- नौका-विहार
- गृहकाज
- चांदनी
- तप रे!
- ताज
- द्रुत झरो
- दो लड़के
- धेनुएँ
- ग्राम श्री
- बापू के प्रति
- अँधियाली घाटी में
- मिट्टी का गहरा अंधकार
- ग्राम श्री
- छोड़ द्रुमों की मृदु छाया
- काले बादल
- पर्वत प्रदेश में पावस
- वसंत
- संध्या के बाद
- जग जीवन में जो चिर महान
- भारतमाता ग्रामवासिनी
- पन्द्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालीस
- नहान
- गंगा
सुमित्रानंदन पंत जी को मिले पुरस्कार (Awards)
Sumitranandan pant को निम्नलिखित पुरस्कार प्राप्त हुए –
- साहित्य एकेडमी अवार्ड (1960)
- पद्म भूषण (1961)
- ज्ञानपीठ अवार्ड (1969)
सुमित्रानंदन पंत की मृत्यु (Death of Sumitranandan Pant)
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में सुमित्रानंदन पंत की 28 December 1977 को 77 बर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई
उनके उत्तराखंड के कौसानी गांव वाले घर को आज म्यूजियम में बदल दिया गया है म्यूजियम में उनकी रचनाएं व अन्य लेखन प्रतिलिपियां रखी गई है
FAQ about Sumitranandan pant ka Jivan Parichay
उत्तर – सुमित्रानंदन पंत का जन्म: 20 मई 1900 हुआ था वे एक लेखक व कवि थे उनका नाम भारत के महान कवियों की सूची में रहा है
उत्तर – उनका जन्म उत्तराखंड के कौसानी गांव में हुआ था
उत्तर – उनके पिता का नाम गंगा दत्त पंत था जो एक जमींदार थे गंगा दत्त साथ में चाय के बगीचे को भी संभाला करते थे जिसके कारण उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी अच्छी थी
उत्तर – पंत की माता का नाम सरस्वती देवी था उनकी माता की मृत्यु उनके जन्म के 6 घंटे बाद ही हो गई थी जिसके कारण उनकी दादी और पिता ने ही उनका पालन पोषण किया
उत्तर – सुमित्रानंदन पंत की मृत्यु 28 दिसंबर 1977 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 77 बर्ष की उम्र में हो गई थी
उत्तर – पंत जी की शैली अत्यंत मधुर और सरस है। बांग्ला तथा अंग्रेजी भाषा से प्रभावित होने के कारण इन्होंने गीतात्मक शैली को अपनाया था चित्रात्मकता, सरलता मधुरता, संगीतात्मकता और कोमलता इनकी शैली की प्रमुख विशेषताएं हैं
उत्तर -पंत जी छायावादी युग के कवि थे
सुमित्रानंदन का जीवन के अन्य प्रश्न | sumitranandan pant ka jivan parichay
उत्तर -सुमित्रानंदन जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार 1968 में मिल था
उत्तर -वीणा सुमित्रानंदन पंत जी की रचना है।
पन्त जी का असली नाम गोसाई दत्त था 1919 में ये शिक्षा प्राप्त करने गवर्नमेंट हाईस्कूल अल्मोड़ा गये थे वहाँ इन्होंने अपना नाम गोसाईं दत्त से बदलकर सुमित्रानन्दन पन्त रख लिया था
सुमित्रानंदन पंत के महाकाव्य का नाम ‘लोकायतन’ छायावादी है। जिस में पंत जी ने भारतीय जीवन की स्वतंत्रता के पहले और बाद की कथा को काव्य रूप दिया गया है
उत्तर – 7 बर्ष की आयु से ही सुमित्रानंदन पंत जी ने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थी। इनकी पहली रचना ‘गिरजे का घण्टा’ थी जो की इन्होंने 1916 ईस्वी में लिखी थी इसके बाद 1920 ईस्वी में इनकी रचनाएं ‘उच्छ्वास’ और ‘ग्रन्थि’ प्रकाशित हुई और 1927 ईस्वी में इनके ‘वीणा’ और ‘पल्लव’ नामक दो काव्य-संग्रह प्रकाशित हुए
उत्तर – पंत जी सौंदर्य के उपासक थे। इनकी सौंदर्य अनुभूति के तीन मुख्य केंद्र प्रकृति, नारी और कलात्मक सौंदर्य है इनके काव्य जीवन का आरंभ प्रकृति चित्रण से हुआ इनके प्रकृति एवं मानवीय भावों के चित्र में कल्पना एवं भावों की सुकुमार कोमलता के दर्शन होते हैं
जिसके कारण इन्हें प्रकृति का सुकुमार एवं कोमल भावनाओं से युक्त कवि कहा जाता है पंत जी का संपूर्ण काव्य साहित्य चेतना का प्रतीक है, जिसमें नैतिकता ,सामाजिकता,धर्म-दर्शन, भौतिकता आध्यात्मिकता सभी का समावेश है।
Conclusion –
उम्मीद है की दोस्तों आपको हमारी ये पोस्ट sumitranandan pant ka jivan parichay पसंद आई होगी और आपको अपने सारे सवालों के जवाब इसमे मिल गए होंगे यदि फिर भी आप हमसे कुछ पूछना चाहते है तो कमेन्ट में पुच सकते है
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